Monday 11 July 2011

उठकर सुबह भूमि बन्दन कर किरतन-भजन बजाता था | नित्य-क्रिया से होकर निवृत्त, योगासन अजमाता था | ---- स्नान - ध्यान से फारिग होकर, गरम कलेवा खाता था |---- ट्वेंटी - ट्वेंटी समाचार से मन बहलाने जाता था

ट्वेंटी - ट्वेंटी  समाचार --

लेकिन दर्शन-दूर है |
हरदिन का दस्तूर है --

मोहन करते माँजी-माँजी,   आर एस एस ने लाठी भांजी |
राहुल मोस्ट वांटेड बेचलर,  दिग्गी  उनके  हाँजी  हाँजी |
महा-घुटाले-बाज तिहाड़ी,  फटकारे नित चाबुक  काजी |
कातिल का महिमा-मंडन,  जीते जालिम  हारी  बाजी--

आदत से मजबूर है |
हरदिन का दस्तूर है -

बड़ी शान से अपनी करनी हारर-किलर सुनाता जाये |
सालों  बन्द कोठरी अन्दर बहिना अपनी मौत बुलाएं |
कहीं  बाप  के अनाचार  का  घड़ा    फूटने  को आये |
बेटी - नौकर - चाकर  सारे  फूटी   आँख   नहीं  भाये--

बनता कातिल क्रूर  है |
हरदिन का दस्तूर है --

भाई   भाई   काट रहा , तो  कही  भीड़  का  न्याय है |
उधर  नक्सली रेल  उडाता, इधर पुलिस असहाय है |
कालेधन  के   भूखेपन   पर  बाबा   गया  अघाय है |
लोकपाल के दल-दल पर दल जुदा-जुदा दस राय है--
 
दिल्ली लगती दूर है 
हरदिन का दस्तूर है --

बड़ी सोनिया सा चल करके  छटी-सानिया ने देखा 
हाथ  पे  उसने  अपने  पाई  तब पाकिस्तानी  रेखा |
सट्टेबाज - खिलाड़ी सबकी लाजवाब लगती एका |
बेशुमार ताकत से  हरदिन  बदल रहे  रब का लेखा --

ताकत से मगरूर है | 
हरदिन का दस्तूर है --

10 comments:

  1. रचना बहुत अच्छी है मगर कुछ शब्द मात्राओं के लिए पर्यायवाची शब्दों को माँग रहे हैं!

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  2. क्या जमाने का ख़ाका खींचा...बहुत सुन्दर...शास्त्री जी की भी बात पर ध्यान दें...छन्दबद्ध रचनाएं एक भी मात्रा की कमी-बेसी बरदास्त नहीं करतीं...बहुत-बहुत बधाई और आभार

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  3. "भाई - भाई काट रहा , तो कही भीड़ का न्याय है |
    उधर नक्सली रेल उडाता, इधर पुलिस असहाय है |"

    बहुत सुन्दर, मधुर शब्दों में जीवन की कड़वाहट का चित्रण. धन्यवाद रविकर जी.

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  4. आदत से मजबूर है
    हरदिन का दस्तूर है
    nice poem

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  5. कातिल का महिमा मंडन वह जीत रहा ,हर दिन बाज़ी ,
    मोहन बोले माँजी ,माँ जी .....
    बहुत असरदार संदर्भों को झिंझोड़ ती सी रचना .

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  6. वाह ... बहुत ही बढिया ।

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  7. वाह वाह ... क्या व्यंग और हास्य का मिश्रण है ... मज़ा आ गया साहब ...

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  8. वाह भाई रविकर जी ...
    बहुत ही मनमोहक और सामयिक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति

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