Monday 31 October 2011

सरयू, अयोध्या और मेरा ग्राम पटरंगा --

शांता-परम  
(मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सहोदरी शांता )
Om 

सर्ग-1 
भाग-1 
सोरठा  
 वन्दऊँ श्री गणेश, गणनायक हे एकदंत |
जय-जय जय विघ्नेश, पूर्ण कथा कर पावनी ||1||
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1n9yDdPd4dRduzyHke7ALtuXRnaUBYxhnEvdZGVJ20jk1GSK5XBQNd2l9SA3zK31FQ7Nsjsxu_oC6YmrDA-vS1nHnXdQXYmreDZjom6tRXKVgqM7bHrpouCXdkhHJlPX8pyuoJSXYPx0/s1600/shree-ganesh.jpg
वन्दऊँ गुरुवर श्रेष्ठ, जिनकी किरपा से बदल,
यह गँवार ठठ-ठेठ, काव्य-साधना में रमा ||2||

गोधन को परनाम , परम पावनी नंदिनी |
गोकुल मथुरा धाम, गोवर्धन को पूजता ||3||
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/8/8f/Ghaghra-River.png
वेद-काल का साथ, पावन सिन्धु सरस्वती |
ईरानी हेराथ, सरयू ये समकालिनी ||4||


राम-भक्त हनुमान,  सदा विराजे इस नगर |
कर सरयू अस्नान, मोक्ष मिले अघकृत तरे ||5||
करनाली / घाघरा नदी का स्रोत्र 
करनाली का स्रोत्र, मानसरोवर के निकट |
करते जप-तप होत्र, महामनस्वी विचरते ||6||
File:Nepal map.png
क्रियाशक्ति भरपूर, पावन भू की वन्दना |
राम भक्ति में चूर, मोक्ष प्राप्त कर लो यहाँ ||7||
करनाली / घाघरा नदी के स्रोत्र  के पास मान-सरोवर

सरयू अवध प्रदेश, दक्षिण दिश में बस रहा |
यह विष्णु सन्देश, स्वर्ग सरीखा दिव्यतम ||8||

पूज्य अयुध  भूपाल, रामचंद्र के पूर्वज |
गए नींव थे डाल, बसी अयोध्या पावनी ||9||
Janmabhoomi
राम-कोट 
माया मथुरा साथ, काशी कांची अवंतिका |
महामोक्ष का पाथ, श्रेष्ठ अयोध्या द्वारिका ||10||

अंतरभू  प्रवाह, सरयू सरसर वायु सी
संगम तट निर्वाह,  पूज घाघरा शारदा ||11||
http://www.pilgrimageindia.net/hindu_pilgrimage/images/ayodhya1.jpg 
सरयू जी 
पुरखों का इत वास, तीन कोस बस दूर है |
बचपन में ली साँस, यहीं किनारे खेलता ||12||


परिक्रमा  पंथान, चौरासी  कोसी  मिले |
पटरंगा मम ग्राम, महिना शुभ वह फाल्गुन ||13||

बाबा कालीचरण, परबाबा बालमुकुन्द |
'रविकर' का अवतरण,लल्लू राम की सन्तति ||14||

सहोदरी छह बहन, दो पुत्री तनु-मनु प्रिये |
कहूँ कथा अथ गहन, सहोदरी श्री राम की ||15||


थे दशरथ महराज, सूर्यवंश के तिरसठे |
रथ दुर्लभ अंदाज, दशों दिशा में हांक लें ||16||
File:Parijat-tree-at-Kintoor-Barabanki-002.jpg 
पारिजात (किन्नूर)
पटरंगा से 3 कोस  
पिता-श्रेष्ठ 'अज' भूप, असमय स्वर्ग सिधारते |
 निकृष्ट कथा कुरूप, चेतो माता -पिता सब ||17||
सर्ग-1 

Sunday 23 October 2011

रविकर की पहली रचना ; अक्तूबर1978

री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं, http://www.shunya.net/Pictures/South%20India/Ajanta/AjantaCaves38.jpg

विश्वास है बिलकुल नहीं कि भूल मैं तुझको सकूँगा -
जब रुपहली मोतियाँ खिलखिलायेंगी कभी -
घिर घटाएं माह पावस में सुनाएँ गरजने-
जब कभी व्याकुल नजर जा टिके उत्तुंग शिख पर -
ऋतुराज आकर या सुनाये जब प्रिये रव कोकिला-
याद कैसे छोड़ दूंगा तब भला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||

India Ajanta Cave Painting: Ajanta Caves Photos, Ajanta Caves Wallpapers, Ajanta Caves Galleries ...
सत्य है अब भी यही कि रूप पर आसक्त हूँ मैं -
पर तिमिर एकांत में, आवेश में उन्माद में भी -
कह नहीं सकती कि चाहा रूप पर अधिकार तेरे |
पर मधुप क्या दूर रह पाया मधुरता से कभी -
बन पतिंगा रूप पर तेरे जला  मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||
http://www.shunya.net/Pictures/South%20India/Ajanta/Ajanta08.jpg
पर समझ पाया नहीं मैं आप का यह खेल अब भी -
भूल करके इस भले को घर बनाओगी धरा पर -
खूबसूरत गुम्बदों को शीश पर ढोती रही तुम-
अंगूरी लताएँ खूबसूरत साथ में सजती रही जो -
चैन कैसे पा सकूँ उनको भुला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||

Saturday 22 October 2011

पंजे ने पंजर किया, ठोकी दो-दो मेख-

 

तू ही लक्ष्मी शारदा, माँ दुर्गा का रूप |
जीव-मातृका मातु तू, प्यारा रूप अनूप ||
जीव-मातृका=माता के सामान समस्त जीवों का
पालन करने वाली सात-माताएं-
धनदा  नन्दा   मंगला,   मातु   कुमारी  रूप |
बिमला पद्मा वला सी, महिमा अमिट-अनूप ||
शत्रु-सदा सहमे रहे, सुनकर सिंह दहाड़ |
काले-दिल हैवान की, उदर देत था फाड़ ||

देश द्रोहियों ने रचा, षड्यंत्रों का जाल |
 सोने की चिड़िया उड़ी, झूठ बजाता गाल ||

टुकड़े-टुकड़े था  हुआ,  सारा   बड़ा   कुटुम्ब, 
पाक-बांगला-ब्रह्म  बन, लंका  से  जल-खुम्ब ||
BharatMata.jpg

महा-कुकर्मी पुत्र-गण, बैठ उजाड़े गोद |
माता के धिक्कार को,  माने महा-विनोद ||

कमल पैर से नोचकर,  कमली रहे सजाय |
कमला बसी विदेश तट,  ढपली रहे बजाय || 
तट = Bank

INC-flag.svg 

हाथ गरीबों पर उठा,  मिटी गरीबी रेख |
पंजे ने पंजर किया,  ठोकी दो-दो मेख | 
मेख = लकड़ी का पच्चर / खूंटा 

File:Bahujan Samaj Party.PNG http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/f/f2/ECI-arrow.png

सिंह खिलौना फिर बना, खेले हाथी खेल |
करे महावत मस्तियाँ,  मारे तान गुलेल ||

कुण्डली 
CPI-banner.svg
File:ECI-bow-arrow.png
हँसुआ-बाली काटके,  नटई नक्सल काट |
गैंता-फरुहा खोदता,  माइंस रखता पाट | 
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/4/45/ECI-corn-sickle.png File:ECI-two-leaves.png
माइंस रखता पाट, डाल  देता दो पत्ती|
खड़ी पुलिस की खाट, बुझा दे जीवन-बत्ती |
File:ECI-hurricane-lamp.pngFile:ECI-bicycle.png
लालटेन को  ढूँढ़, साइकिल लेकर बबुआ | 
मुर्गे जैसा काट,  ख़ुशी से झूमें हँसुआ ||
File:ECI-cock.png
 बिद्या गई विदेश को, लक्ष्मी गहे दलाल |
माँ दुर्गा तिरशूल बिन, यही देश का हाल ||

जगह जगह विस्फोट-बम, महँगाई की मार |
कानों में ठूँसे रुई, बैठी है सरकार ||

Thursday 20 October 2011

इन्तजार दो साल, बने बापू फिर बबलू |

 MATHURA: JD U leader and NDA convenor Sharad Yadav called him 'Babua', Former Kerala chief minister Achyutanand called him Amul Baby and now he has altbeen named 'Babloo'.


बापू बबलू को कहें, दिक दिग्गी हो जात |
  लाना  सत्ता  सुंदरी,  सजने लगी बरात |






Bobby Darling
सजने लगी बरात , डार्लिंग-बाबी  बोली |
  हम को
करना ब्याह, बैठना राहुल डोली |




 

कह रविकर कविराय, खिलाओ मम्मी पपलू |
इन्तजार दो साल,  बनेगा  बापू बबलू ||

Wednesday 19 October 2011

आ० श्याम गुप्त की रचना से सीखी हरिगीतिका ||

 हरिगीतिका में  
कई  गलतियाँ  हैं --
क्षमा करें श्रीमन | 
फिलहाल अपने बस का नहीं है यह छंद--
 कुछ  मदद  करो  भाई 
  वीभत्स-टिप्पणीकार 
जब टिप्पणी में वो समेटे,  हर फ़साना लसलसा |
अलल-बछेड़ा का अल्लाना,  बजे  डेंगू  का  मसा |
हो  पूँछ  सीधी  भौंक  भूला,  है अलर्की की दशा |
अनुरोध करना व्यर्थ है जो, कर चुका भारी नशा ||  

अलल-बछेड़ा=अनभिग्य बालक    अलर्क=पागल कुत्ता

  भूषण-भूषित अन्ना टोपी
 मरजादा को भूल सयाना,  देश-द्रोह अनुशंसा |
इक तिनका भी नहीं उगे उत, वही जवाहर मंसा |
  भूषण-भूषित अन्ना टोपी,  की  'रविकर' परशंसा  |
बिना कसौटी कसे मान मत, कागा है या हंसा  ||

त्यौहार 

जीवन की इकरसता करती, है अवसादी वर्षा |
समयबद्ध हो जाती चर्या, फुर्सत के पल तरसा |
जोश और उत्साह  काटता,  नीरसता का फरसा |
पर्व और त्यौहार देखकर,  मन-मयूर जन हरसा | 


लोकपाल का नहीं समर्थक 

केजरी कसौटी से कसता, है सौ फीसदी खरा |
जूताबाजी  माफ़ी  पाती, नव-गाँधी रूप धरा | 
त्योहारों का पावन मेला, सबसे अनुरोध करा |
लोकपाल का नहीं समर्थक, भरसक लग उसे हरा ||
की रचना
अनुरोध है हरिगीतिका में छंद एक रचाइए।
सुंदर सरस शब्दावली में उचित भाव सजाइए।।

सोलह तथा बारह कला फिर  अंत में लधु-दीर्घ हो।
मिल जाय शुभ शुचि छंद कोई पूर्ण यह अनुरोध हो ।१।

Monday 17 October 2011

अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता--

(१)
जीती जदयू की नई,  दुल्हन  जब इस बार |
पितर-पाख में व्याह का,  सीधा  सारोकार |
सीधा  सारोकार,  जरूरत  सब  की  माता |
अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता |
रविकर कहे विचार,  रही  कुर्सी  से  प्रीती |
नहीं अंध-विश्वास, तोड़कर कविता जीती ||






(२)
महिला शक्ती - करण में, जब बिहार अगुवान |
बटुकनाथ की जूलियट,  बनी  ग्राम परधान |
File:Laluprasadyadav.jpg 
बनी  ग्राम परधान,  राबड़ी सी-यम बनकर |
नई  नवेली आज,  खड़ी दुल्हन जब तनकर |
लालू  देखा  दृश्य,  कलेजा-नहिला  दहला |
दहिला मार नितीश, जिताया जदयू महिला ||

Sunday 16 October 2011

तुकबन्दियाँ करने लगा, होवे जरा नजरे-इनायत

 फातिमा  कुलसुम  जोहर  गोदाबरी 

सउदी  अरबिया की मलिका 

Most Beautiful Woman In THe World
क्षमा सहित, सादर  

सुन दर्द के ओ कारखाने, 
कम पड़ा क्या माल कच्चा 
आधा-अधूरा  ही बना,  
मझधार में  इक  और गच्चा ||

Image of Rusty the Boy Robot
है खुब जरुरत आँसुओं की, 
ये दिल दरकने के करीब-
अब जुल्म सारे सह सकूँगा,  
रह गया ना छोट बच्चा ||

उस रात खर्राटें भरीं थी
अखिल भारत गोष्ठी  में-
कैसे बनोगे श्रेष्ठ-शायर ?
 पूँछ  बैठे  बड़े  चच्चा ||  


  
Mirza_ghalib_t600
तुकबन्दियाँ  करने  लगा, 
होवे  जरा नजरे-इनायत-
आशुकवि  'रविकर' बने
  तू गटक मेरा प्रेम-सच्चा ||


Thursday 13 October 2011

घाट-घाट पर घूम, आज घाटी को माँगें ||



टांगें  टूटी  गधे  की ,  धोबी   देता   छोड़ |
बच्चे   पत्थर  मारके,   देते  माथा  फोड़ |


 


 देते माथा  फोड़,   रेंकता  खा  के  चाटा |
 मांगे जनमत आज, गधों हित धोबी-घाटा |





घाट-घाट पर घूम,  मुआँ  घाटी को माँगें |
चले चाल अब टेढ़ ,  तोड़  दे  चारों  टांगें ||


दलील और वाणी पुन्नू की प्रबल --

वाणी पुन्नू  की  प्रबल,  अन्नू  का  उपवास | 
चित्तू  का  डंडा  सबल,  दिग्गू  का  उपहास |

लोकपाल  मुद्दा  बड़ा,  जनता  तेरे  साथ |
काश्मीर का मामला, जला रहा क्यूँ  हाथ ?

कालेधन  से  है  बड़ा, माता  का  सम्मान |
वैसी भाषा  बोल मत,  जैसी  पाकिस्तान ||

झन्नाया था गाल  जब,  तू   तेरा  स्टाफ |
उस बन्दे को कूटते,  हमें  दिखे  थे साफ़ ||

सड़को पर जब आ गया, सेना का सैलाब |
तेरे  बन्दे  पिट गए,  कल  से  थे  बेताब  |

करना यह दावा नहीं,  हो  गांधी  के भक्त |
बड़ी दलीलें  तुम रखो,  उधर है  डंडा  फ़क्त ||

वैसे  दूजे  पक्ष  को,  मत  कर  नजरन्दाज |
त्रस्त बड़ी सरकार थी,  मस्त  हो रही आज ||

पहले  पीटा  फिर  पिटा,  चले   कैमरे  ठीक  |
होती  शूटिंग सड़क  पे, नियत लगे  ना  नीक ||

घूँस - युद्ध  की  नायकी,  घाटी  में  यूँ  डूब |
घूँसा जबड़े  पर  पड़ा,   देत   दलीलें   खूब ||

Sunday 9 October 2011

काम काम काम काम

कामकाज  में  लीन  है,  सुध  अपनी विसराय |
उत्तम प्राकृत मनुज  की,  ईश्वर  सदा  सहाय ||

The surgical instrument manufacturing industry of Sialkot in Pakistan  कामगार की जिन्दगी, खटता  बिन तकरार |
थोथे  में   ढूंढे  ख़ुशी,  मालिक  का  आभार || 
    Lazy Man Laying on a Couch
कामचोर  कायल  करे,   कहीं   कायली  नाँय |
दूजे के श्रम पर  जिए,  सोय-सोय मर जाय ||   
File:Pisanello 010.jpg 

निकृष्ट   जीवन   मानिए,  जो  होते  कामांध |
डूबे  और  डुबाय   दें,   ज्यों  टूटे  तट-बाँध  ||
Various fish drawings - GraphicRiver Item for Sale
कामध्वज  की  जिन्दगी,  त्याग नीर का नेह |
क्षुधित जगत पर मर मिटे, पर-हित  धारी  देह ||
File:Italienischer Maler des 17. Jahrhunderts 001.jpg
पेटू   कामाशन   चहे,  कामतरू   के   तीर |  
भोजन  के  ही  वास्ते,  धारा   तोंद - शरीर || 

Tuesday 4 October 2011

रविकर परसों लेत, मिनिस्टर रहा सलामी-



नामी पुलिस बिहार की, बड़े-बड़े गुण चार |
कूद  कूद  के  बूट  से,  दें  जिन्दा  को मार |

In this image made of a video filmed on Wednesday, a policeman beats up a woman during a baton charge near Noorsarai police station in Nalanda district. AP

दें जिन्दा को मार, चले नारी पर डंडा |                
पर नक्सल से पार, नहीं पाता बरबंडा |

Policemen give guard of honour to their slain colleauge Lukas Tete, in Lakhisarai, Bihar. Police found the bullet-riddled body of Tete, in the early hours of Friday.


रविकर परसों लेत,  मिनिस्टर  रहा  सलामी |
नहीं चली  पर गन,  पुलिस गन सबसे नामी ||