Thursday 2 August 2012

वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त -

हिसाब मांगने लगो खुद से !!!

सदा 
SADA -
पढ़िए तो आराम से, जीवन पुस्तक आज |
पृष्ठों की कुल क्लिष्टता, खुलते सारे राज |

खुलते सारे राज, बड़ा आडम्बर भारी |
रख अपने पर नाज, छोड़ के जाग खुमारी |

मंथन कर के आप, नित्य आगे को बढिए |
अपना तप्त-प्रताप, सीढियां खटखट चढिये ||


कविता :बल्ले बल्ले है सरकार कविता :बल्ले बल्ले है सरकार

वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त ।
बिरादरी को वोट दे, हो जाता है मस्त ।

हो जाता है मस्त, पार्टी मुखिया अपना ।
या फिर कंडीडेट, जाति का देखे सपना ।

चले लीक को छोड़, हिकारत भरी निगाहें ।
इसीलिए हैं कठिन, यहाँ सत्ता की राहें ।।
 

राहुल की खातिर करे, रस्ता अन्ना टीम ।
टीम-टाम होता ख़तम, जागे नीम हकीम ।

जागे नीम-हकीम,  दवा भ्रष्टों को दे दी ।
पॉलिटिक्स की थीम, जलाए लंका भेदी ।

ग्यारह प्रतिशत वोट, काट कर अन्ना शातिर ।
एन डी ए को चोट, लगाएं राहुल खातिर ।।


गिरगिटान कश्मीर पर, दिखलाये निज रंग ।
देखो अन्ना टीम का, बदला बदला  ढंग । 

बदला बदला ढंग, चुकाया बढ़िया बदला ।

चोला बदले छद्म,  बना के सबको पगला ।

भाजप राजद शरद, सपा तृण-मूल खलेगा ।

बासठ शठ दल खड़े, अब तिर-शठ भी छलेगा ।

यादव-मुस्लिम की सपा, धता रही बतलाय ।
कहे राम गोपाल जी, अन्ना टीम जताय।

अन्ना टीम जताय, जमानत बच न पाए ।
अपना कंडीडेट, अगर अन्ना लडवाए |

किन्तु सफा इक बात,  वोट अच्छा वह काटे |
बड़े विपक्षी वोट, यहाँ कांग्रेस हित बांटे ||

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावानुवाद है रविकर जी पोस्टों का .

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  2. आपके इस लेख के सन्दर्भ में एक दो बातें -आपने कहा है -
    "" फिर अन्ना जी मेरा ये मानना है कि राष्ट्रपति को कम से कम पढा लिखा तो होना ही चाहिए। आप क्यों बेवजह हर जगह अपना नाम लेने लगते हैं, जबकि कोई आपको पूछता तक नहीं है।"
    भाई साहब ग्यानी जेल सिंह और फखरुद्दीन अली एहमद के बारे में आपकी क्या राय है .
    आन्दोलन की निरंतरता के लिए केजरीवाल साहब की जान बचाना ज़रूरी था .
    हम उस देश में रहतें हैं जिसमे ये लेफ्टिए वीर सावरकर को भी अंग्रेजों का पिठ्ठू कहके उनका उपहास उड़ाते आयें हैं .एक नाम- चीन पत्रकार तो कागद कारे में घोषित करते थे मैं नित्य कर्म की तरह संघ को कोसता हूँ .सुबह उठके गाली देता हूँ .

    नौ अगस्त (मेरठ से १९४२ की चिंगारी यहीं से शुरु हुई थी )आने दीजिए आपके मौन सिंह १५ अगस्त को लाल किले पर नहीं चढ़ पायेंगें .चढ़ेंगे तो सरकार उससे पहले कुछ गुल खिल वा देगी .रामदेव सांप्रदायिक दंगे में मारे भी जा सकतें हैं .

    सरकार साम्प्रदायिक दंगा करवा सकती है .कुछ लोगों की हिफाज़त के नाम पर विशेष धाराएं लागू करके उन्हें किशन -बाल की तरह कारावास में भी दाल सकती .यहाँ ऐसा करना नियम है अपवाद नहीं .
    रही इस देश को चलाने की बात तो पूडल राज में इस देश को तेल निगम और पुलिस ही चला रही है .
    आंतकवादियों का स्थानीय स्लीपिंग सेल पुणे में रिहर्सल कर रहा है बड़े विस्फोटों की .साम्राज्ञी चुप्पी साहदे हैं और यह म्याऊ सिंह बेचारा बोलना तो चाहता है ,आवाज़ ही नहीं निकलती .
    अन्ना चोर दरवाज़े से कुछ नहीं करेंगे इस मौन सिंह की तरह जो कागज़ पर असम वासी है .पिछले दरवज्जे से आतें हैं लडवा लो अपने पूडल और महारानी को अन्ना के खिलाफ .दूश का दूध और पानी का पानी हो जाएगा .

    अधूरी क्रांति की खलनायक टीम अन्ना ....
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..

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  4. बहुत ही बढिया प्रस्‍तुति।

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  5. Nice.
    वोटर भकुवा क्या करे, वोटर जाति-परस्त ।
    बिरादरी को वोट दे, हो जाता है मस्त ।

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  6. अच्छी कुंडलियाँ

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