Wednesday 8 August 2012

शहरी शोषण से लड़े, माखन की गति थाम-रविकर

इन्द्र देवता हुए मेहरबान ( चर्चा - 966 )

सुन्दर चर्चा है सजी, अजी कहाँ हो व्यस्त |
आकर के तो बाँच लो, हो कर जाओ  मस्त |


हो कर जाओ मस्त, अस्त सूरज जब होवे ।
होगे  न तुम  पस्त, थकावट में ना खोवे ।

ऊर्जा  का भण्डार, बाग़  दिल  बाग़  करेगा ।
इसीलिए पढ़ जाग,  नहीं तो  दिन अखरेगा ।

तो क्‍या मैं भी देखूं टेढी नजर से...

सालों से कुछ कह रहा, जूं न रेंगे कान |
कुछ कहने आये अगर, स्वागत है श्रीमान |


स्वागत है श्रीमान, नहीं यह दुनिया सुनती |
खोले व्यर्थ दु-कान, व्यंग पर माथा धुनती |


करे परिश्रम घोर, जतन कर कुछ जो पालो |
रविकर पेट मरोड़, हजम न होता  सालों |||


श्री कृष्ण -साम्यवाद और वेद विज्ञान


शानदार यह पोस्ट है, क्रांतिवीर थे श्याम |
शहरी शोषण से लड़े, माखन की गति थाम |

माखन की गति थाम, कर्म पर निर्भरता का |
दिया सतत पैगाम, बकाया उद्धव काका |

मिटा दुष्ट का वंश,  कंस को मारा घुसकर |
किया कालिया दाह,  नमन कृष्णा को सादर ||
एक है गुज्‍जु नरेंद्र मोदी 
है नरेंद्र एकदम खरा, जरा नहीं परवाह |
वाह वाह ना दे ख़ुशी, ना आलोचक आह |


ना आलोचक आह, दाह गोधरा पुराना |
असम में कत्ले आम, हकीकत जरा बताना |


बिकी मीडिया खूब, ढोंग करता है पक्का |
करे सदा बदनाम, लगा इज्जत को धक्का ||

फालोअर्स और ब्लोगिंग 

मनसा वाचा कर्मणा

करते हैं जो अनुसरण, वरण कर रहे भाव |
संत जनों के अनुकरण, रविकर गहरा चाव |


रविकर गहरा चाव, ध्यान से पढता गढ़ता |
ज्ञान धर्म अध्यात्म, सीढियाँ खट खट चढ़ता |


लेखक को उत्साह, राह भी दिखलाता है |
पाता खुद की थाह, सभी को खुब भाता है ||


मैं करता हूँ अनुसरण  

4 comments:

  1. आभार आपका इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए
    सादर

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  2. मोदीनामा शानदार रहा ,

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  3. अजी हम अपना स्वभाव क्यों छोड़ें ,उनका काम डंक मारना हमारा आगे बढना अपना काम करना एक शैर पर मुलाहजा फरमाएं -
    हर आदमी में होतें हैं दस बीस आदमी ,जिससे भी मिलना कई बार मिलना ,जिसे भी देखना कई बार देखना ....
    तो क्‍या मैं भी देखूं टेढी नजर से...

    सालों से कुछ कह रहा, जूं न रेंगे कान |

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