Sunday 5 August 2012

पत्नी का सहभाग, क्रोध घृणा मद छोड़ा-रविकर

 
औरत के रूप -आमिर दुबई
नारी का पुत्री जनम, सहज सरलतम सोझ |
सज्जन रक्षे भ्रूण को, दुर्जन मारे खोज ||

नारी  बहना  बने जो, हो दूजी संतान
होवे दुल्हन जब मिटे, दाहिज का व्यवधान ||

नारी का है श्रेष्ठतम, ममतामय  अहसास |
बच्चा पोसे गर्भ में,  काया महक सुबास ||
गांधी जी का ब्रह्मचर्य, यौनेच्छा का त्याग |
इससे भी बढ़कर रहा, पत्नी का सहभाग |

पत्नी का सहभाग, क्रोध घृणा मद छोड़ा |
भाषण कर्म विचार, धर्म उन्मुख हो मोड़ा |

इन्द्रियों पर अधिकार, जितेन्द्रिय हो जाते हैं |
सेवा व्रत सम्पूर्ण, बड़ा आदर पाते हैं ||
कविता और गीत -डॉ. जे.पी.तिवारी
My Photo
दृष्टि-भेद से उपजते, अपने अपने राम |
सत्य एक शाश्वत सही, वो ही हैं सुखधाम |

वो ही हैं सुखधाम, नजरिया एक कीजिये |
शान्ति का पैगाम, देश-हित काम कीजिये |

पञ्च-भूत ये वर्ण, वन्दना इनकी ईश्वर |
धर्म कर्म का मर्म, समझता जाए रविकर ||
मित्र की एक परिभाषा -सुनील कुमार
मेरा फोटो 
फ्रेंड बड़ा सा शिप लिए, रहे सुरक्षित खेय |
चलें नहीं पर शीप सा, यही ट्रेंड है गेय |
यही ट्रेंड है गेय, बिलासी बुद्धि नाखुश |
गलत राह पर जाय, लगाए रविकर अंकुश |
दुःख सुख का नित साथ, संयमित स्नेही भाषा |
एक जान दो देह, यही है फ्रेंड-पिपासा ||

टाँय-टाँय फिस फ्रेड शिप, टैटेनिक दो टूक |
अहम्-शिला से बर्फ की, टकराए हो चूक |
टकराए हो चूक, हूक हिरदय में उठती |
रह जाये गर मूक, सदा मन ही मन कुढती |
इसीलिए हों रोज, सभी विषयों पर चर्चे |
गलती अपनी खोज, गाँठ पड़ जाय अगरचे ||

मित्र सेक्स विपरीत गर, रखो हमेशा ख्याल |
बनों भेड़िया न कभी, नहीं बनो वह व्याल |
नहीं बनो वह व्याल, जहर-जीवन का पी लो |
हो अटूट विश्वास, मित्र बन जीवन जी लो |
एक घरी का स्वार्थ, घरौंदा नहीं उजाड़ो |
बृहन्नला बन पार्थ, वहां मौका मत ताड़ो ||

4 comments:

  1. सब के सब एक से बढ कर एक। आभार।

    ReplyDelete
  2. वाह ... बेहतरीन

    ReplyDelete
  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |

    ReplyDelete