Thursday 16 August 2012

ठक ठक पाठक पोस्ट के, छीने चर्चा मंच-रविकर

 

(1)
 ठक ठक पाठक पोस्ट के, छीने चर्चा मंच |
"भला बुरा" बक्के बिना, हजम न होता लंच |

हजम न होता लंच, टंच गर होगी रचना |

है मिथ्या आरोप, चाहिए इससे बचना |

सुन्दर सत्यम-शिवम् , बतंगड़ बातें बनती |
होय घात-प्रतिघात, भृकुटियाँ खिंचती तनती || 


(2)
हैं सुशील कितने विनम्र, शील नाम अनुरूप ।
लेकिन जोशी पर पड़ी, रविकर भीषण धूप ।

रविकर भीषण धूप, छुपा उल्लूक अँधेरे ।
रहा नाग फुफकार, शिवम् का नंदी घेरे ।

अक्खडपन महराज, शब्द पर क्यूँ न भड़के ।
क्या प्रोफ़ेसर साब, क्लास लेनी थी तड़के ।। 

(3)
चर्चा का क्या अर्थ है, केवल टिप टिप टीप |
लिखना सचमुच व्यर्थ क्या, बुझता ज्ञान प्रदीप |


बुझता ज्ञान प्रदीप, सार्थक चर्चा समझो |
किया कराया लीप, व्यर्थ सज्जन से उलझो |


चर्चा करें सटीक, धीर जोशी जी आमिर |
वीरू भाई अरुण, कई पाठक है माहिर ||

सन्दर्भ : स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें चर्चा मंच 972

चर्चाकार : रविकर फैजाबादी 





  1. समझ नहीं आता आप लोग यह क्या खेल चला रहे है ... जिस ब्लॉग के बारे मे आपकी यह टिप है क्या वहाँ तक आप गए या वहाँ आपने यह टिप दी ... मुझे और मेरे ब्लॉग को इस खेल से दूर रखें ... सादर !
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  2. शिवम जी क्षमा करेंगे नाराज ना होयेंगे
    सभी ब्लाग पर जाने की कोषिश होती है
    जाकर देखेंगे तो वहां पर टिप्पणी भी होती है
    कभी कभी लिंक जब नहीं खुल पाता है
    तो टिप्पणी बस यही पर ही होती है
    गुस्सा मत करिये वैसे देखियेगा मैं हमेशा
    जब भी यहाँ टिप्पणी करता हूँ वो
    आपको अपने ब्लाग पर भी मिलेगी ।
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  3. आप रहने दीजिये महाराज ... कोई सफाई नहीं चाहिए मुझे यह पहली बार नहीं हुआ है आपसे ... यह जो परंपरा आप लोग डाल रहे है ... वो सार्थक ब्लोगिंग नहीं है ... मेरी समझ मे यह नहीं आता शास्त्री जी जैसे सीनियर ब्लोगर कैसे यह होने दे रहे है ! तब से उनको फोन लगा रहा हूँ पर फोन भी नहीं उठा ... 27 को लखनऊ मे ही बात करूंगा उनसे इस बारे मे !
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  4. चर्चामंच के चर्चाकारों से निवेदन है कि अगर टिप्पणी करने से ब्लागिंग का इतना नुकसान हो रहा है तो बता दें हम टिप्पणी करना बंद कर दें ।

    शिवम् मिश्राAugust 15, 2012 1:19 PM

    आप रहने दीजिये महाराज ... कोई सफाई नहीं चाहिए मुझे यह पहली बार नहीं हुआ है आपसे ... यह जो परंपरा आप लोग डाल रहे है ... वो सार्थक ब्लोगिंग नहीं है ... मेरी समझ मे यह नहीं आता शास्त्री जी जैसे सीनियर ब्लोगर कैसे यह होने दे रहे है ! तब से उनको फोन लगा रहा हूँ पर फोन भी नहीं उठा ... 27 को लखनऊ मे ही बात करूंगा उनसे इस बारे मे ! मेरे विरोध करते ही सब लिंक खुलने लगे ... वाह !
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  5. बात को गलत तरीके से पेश करने की बेकार कोशिश न करें ...
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  6. शिवम जी मैं इतनी मेहनत करता हूँ । समय देता हूँ । सारे ब्लागस पर जाता हूँ । आपके ब्लाग पर भी आया करता हूँ । आपको मेरी टिप्पणियां वहां मिलेंगी । पर ये सब में इसलिये नहीं करता कि आपके मन में जो आये इलजाम आप लगा लें । आज भी रविकर जी ने आप्की पोस्ट का लगभग आधा भाग ऊपर दिया हुआ है जिसे पढ़कर इतना तो कहा जा सकता है कि अच्छी पोस्ट है ? बाकी आपकी क्या मंसा है वो आप जाने पर मैं यहाँ आज ही नहीं आ रहा हूँ । हाँ आपकी तरह का महान ब्लागर में नहीं हूँ ।
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मेरी पोस्ट को आपने यहाँ लिंक किया उसके लिए आभार पर माफ कीजिएगा ... दुख होता है यह देख कर जिस चर्चा मंच को देख कभी खुद भी चर्चा करने की सोचा करता था आज उसका यह हाल है !

आपके इस टिप्पणी के खेल के कारण कहीं न कहीं आप बाकी ब्लोगस से उनके पाठक छिन रहे है ! शास्त्री जी से अनुरोध है इस बारे मे कुछ कीजिये ... टिप्पणी करने वाला केवल आपके पोस्ट पर किसी ब्लॉग लिंक मे बारे मे अपनी राय दे कर चला जाये तो क्या इस से चर्चा सार्थक होगी ... ज़रा सोचिएगा !
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Replies





  1. जी सहमत हूँ आपसे-
    सचमुच बुरा हाल है-
    आइये ने चर्चाकार की हैसियत से हमारे साथ-
    आपका स्वागत है-
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  2. बुरा भला सब कुछ सुनें, आँगन कुटी छवाय |
    पाठक गण के ध्यान में, जाती गलती आय |
    जाती गलती आय, ब्लॉग पर भी जाना है |
    पाठक उनके छीन, छान कर न लाना है |
    गुस्सा दीजै थूक, चूक अक्सर हो जाती |
    होगा वही सलूक, रूल बुक रही बताती ||
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  3. रूल बुक जो समझाती ||
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4 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    जबरदस्त!

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  2. ब्लाग ब्लागर गर गर गर घड़ घड़ धूम धड़ाम
    रविकर खेल खेल में खेलना हुआ अब हराम
    टिप टिप टिप्पणी टिपियाना भी है कोई काम
    संगति में रहकर टिप्पणीकार के हुआ जुखाम
    भगवान बचाये हे राम हे राम हे राम !!

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  3. बीती ताहि बिसार दे ,आगे की सुधि लेई.....हो ली सो हो ली ,कुछ तुमने कहा कुछ हमने सुना,बात घर की घर में रही ....बढ़िया लिंक और सवाल ज़वाब ...मान मनोवल ,अंत भला सो भला .....

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  4. मुताबिक़ रूल बुक के,टिप्पणी करना काम
    पसंद आये तो लौटाना,नही तो सीता राम,,,,,

    बेहतरीन प्रस्तुति बहुत लाजबाब ,,,,,

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