Wednesday 15 August 2012

केवल दो दो पैग, रोक है पूरी रविकर-

यह लिंक भी नए हैं- 
अपनों का साथ
शराब देवी

मधुशाला से दूर हैं, जाते बस इक बार |
बस जाती रंगीनियाँ, हो जाता उद्धार |

हो जाता उद्धार, उधारी उधर नहीं है |
करे नगद पेमेंट, पुराना माल सही है |

बार रूम में साज, बैठते सब को लेकर |
केवल दो दो पैग, रोक है पूरी रविकर ||
अरुण कुमार निगम
याद उन्हें भी कर लो

सात समंदर पार कर,  नाव चली इंग्लैण्ड |
बलिदानों से बच सकी, टूटे दुश्मन हैण्ड |


टूटे दुश्मन हैण्ड, बैण्ड अब हमी बजाते |
कई बिदेशी ब्रांड, दौड़ कर अब अपनाते |


बड़े विदेशी बैंक, खुले खाते बेनामी |
ब्लैक मनी का ढेर, रखे हैं सत्ता स्वामी ||

ऐसी आजादी खले, बाली जी के बोल |
उथल पुथल दिल में मचे, बड़ा चुकाया मोल |

बड़ा चुकाया मोल, रोल इन शैतानों का |
तानों से दे मार, गजब शै हुक्मरानों का |

राशन पानी स्वास्थ्य, बही शिक्षा सड़कों पर |
अंधकार अति गहन, करे क्या रोशन रविकर ||
सिंहावलोकन
मसीही आजादी

नहीं नियत में खोट था, होता यही प्रतीत |
सही सार्थक बतकही, मानवता की जीत |


मानवता की जीत, रही चिंता सीमा पर |
मार-काट के बीच, उजाला फैला रविकर |


पर गंगा की धार, बहाई भरे समंदर |
करें पंथ विस्तार, यही है दिल के अन्दर ||
फैक्ट एंड फिगर
टेर लुटेरे न सुनें, प्रणव नाद न दुष्ट |
हुन्कारेंगें जब सभी, तब होंगे संतुष्ट |


तब होंगे संतुष्ट, पुष्ट ये धन दौलत से |
चोरी की लत-कुष्ट, सफेदी झलके पट से |


तन पे खद्दर डाल, लूटते हैं गांधी भी |
सारे खड़े बवाल, हिले इनकी न जीभी ||

करदाता के खून को, जब निचोड़ खूंखार |
करते बन्दर-बाँट तब, होता दर्द अपार |

होता दर्द अपार, बड़े कर की कर चोरी |
भोग रहे ऐश्वर्य, खींचते सत्ता डोरी |

बन्दे सत्तासीन, कमीशन खोर हो गए |
मध्यम साथ करोड़, आज चुपचाप सो गए ||
उच्चारण
आजादी के गीत

संतोष कु. झा ने यह गीत चुराया 
चोरी होते गीत हैं, सोना चाँदी नोट ।
अच्छी चीजें देख के, आये मन में खोट ।

 आये मन में खोट, लुटेरे लूट मचाएं ।
है सलाह दो टूक, माल यह कहीं छुपायें ।

इतने सुन्दर गीत, चुराना बनता भैया ।
जियो मित्र संतोष, गजब तुम हुवे लुटैया ।।

8 comments:

  1. लिंक के साथ उनपर सीमित शब्दों की तुकों से पहुँचने की लालसा बढ़ जाती है... संचालन की भूमिका आप अच्छी निभाते हैं. आभार.

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  2. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ... आभार

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  3. Nice post.
    आपने हमारे ब्लॉग वेद कुरआन की पोस्ट को पढ़ा.
    शुक्रिया.

    देखिये नई पोस्ट -
    एक दान-पर्व है ईद-उल-फितर Eid 2012
    http://vedquran.blogspot.in/2012/08/eid-2012.html

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  4. सुन्दर प्रस्तुति ...

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  5. बढ़िया लिंक, टिपियाया भी अच्छा है!

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  6. इतने सुन्दर गीत, चुराना बनता भैया ।
    जियो मित्र संतोष, गजब तुम हुवे लुटैया ।।

    वाह रविकर जी ,आशीषों तुम चोर को ,चोर बने लिख्खाड ....

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  7. काश, मेरे भी गीत चुराने लायक होते !

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  8. दो पैग पीना भी
    कोई पीना होता है
    बोतल में बच जाये
    शराब अगर थोड़ी भी
    उसे देख देख कर जीना
    भी कोई जीना होता है ?

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