Sunday 14 October 2012

ढेरों दान डकार, होंय घपलों में शामिल -



चोरी और सीनाजोरी :क़ानून मंत्री का अहंकार

Virendra Kumar Sharma 
एन जी ओ बनवाय के, दे देते घर काम ।
 है आराम हराम जब, मिलें काम के दाम ।
मिलें काम के दाम, बड़ों की बीबी काबिल ।
 ढेरों दान डकार, होंय घपलों में शामिल ।
कारोबारी बड़े, जुटे हैं मंत्री अफसर । 
हकमारी कर तान, रहे ये सीना रविकर ।।

यादों की ओढ़नी,,,

Dheerendra singh Bhadauriya 

यादों की यह ओढ़नी, ओढ़ रहूँ दिनरात |
उमड़-घुमड़ दृष्टान्त हर, रह रह आवत जात |
रह रह आवत जात, बाराती द्वारे आये |
पर बाबू का हाथ, छूट नहिं सके छुडाये |
माँ की झिड़की प्यार, बरसता सावन भादों |
भैया से तकरार, शेष बचपन की यादों ||

क्यों तुम ऐसे मौन खड़े ?

Rajesh Kumari 

टा टा कर कर के थके, जब जब दायाँ हाथ ।
बाएं ने कह ही दिया, फिर फिर भोले-नाथ ।
फिर फिर भोले-नाथ, दर्द पूछो तो दिल का
इतना ही था साथ, करे रोकर दिल हल्का ।
कर ये नाटक बंद, डाल मुख में दो दाने ।
बचे हुवे दिन चंद, चले जाएँ बेगाने ।।
 

कागा काको धन हरे ,कोयल काको देय ,

Virendra Kumar Sharma  

कागा यह बदमाश है, उड़ा नौलखा हार ।
मंत्री संत्री ढूँढ़ते,खड़ा खफा सरदार ।
खड़ा खफा सरदार, करे तैनात शिकारी ।
जनपथ पर विकलांग,  कराता  मारामारी ।
बेगम हैं नाराज, मियां दिल्ली से भागा ।
जाता दीखे राज, केजरी काला  कागा ।।

बबुआ हो ले बीस का, दूँ मंगल आशीश ।
दुनिया में हरदम रहे, तू सबसे इक्कीस ।
तू सबसे इक्कीस, होय हर चाहत पूरी ।
स्वास्थ्य आयु बल बुद्धि, मिले सब चीज जरुरी ।
रविकर का आशीष, बुआ की दुआ कुबूले ।
सदा यशस्वी होय, बीस का बबुआ हो ले ।।

सन्डे की साफ-सफाई.


साफ़ सफाई में लगा सारा कुनबा मित्र |
बेगम बागम खींचती, ढेर पुराने चित्र |
ढेर पुराने चित्र , ऊंट अब आया नीचे |
वो पहाड़ सा ठाड़, डालता यहाँ किरीचें |
नजरों में सैफई, मुलायम सहित खुदाई |
मोहन  इसको रोक, करे जो साफ़ सफाई ||   |

भगवान् राम की सगी बहन की पूरी कथा - आप जानते हैं क्या ??

कुंडली
रविकर नीमर नीमटर, वन्दे हनुमत नाँह ।
विषद विषय पर थामती, कलम वापुरी बाँह ।
कलम वापुरी बाँह, राह दिखलाओ स्वामी ।

बहन शांता श्रेष्ठ, मगर हे अन्तर्यामी ।

नहीं काव्य दृष्टांत, उपेक्षित त्रेता द्वापर ।

रचवायें शुभ-काव्य, क्षमा मांगे अघ-रविकर ।


 नीमटर=किसी विद्या को कम जानने वाला 
नीमर=कमजोर    
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1n9yDdPd4dRduzyHke7ALtuXRnaUBYxhnEvdZGVJ20jk1GSK5XBQNd2l9SA3zK31FQ7Nsjsxu_oC6YmrDA-vS1nHnXdQXYmreDZjom6tRXKVgqM7bHrpouCXdkhHJlPX8pyuoJSXYPx0/s1600/shree-ganesh.jpg 
मत्तगयन्द सवैया 

संभव संतति संभृत संप्रिय, शंभु-सती सकती सतसंगा ।

संभव वर्षण  कर्षण कर्षक, होय अकाल पढ़ो मन-चंगा ।

पूर्ण कथा कर कोंछन डार, कुटुम्बन फूल फले सत-रंगा ।
स्नेह समर्पित खीर करो, कुल कष्ट हरे बहिना हर अंगा ।।
भाव सार्थक गीत के, आवश्यक सन्देश ।
खुद को सीमित मत करो, चिंतामय परिवेश ।
चिंतामय परिवेश, खोल ले मन की खिड़की ।
जो थोड़ा सा शेष,  सुनो उसकी यह झिड़की ।
पालो सेवा भाव, साध लो हित जो व्यापक ।
बगिया वृक्ष सहेज, तभी ये भाव सार्थक ।।

6 comments:

  1. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स चयन के साथ ... आपकी शुभकामनाओं का बहुत-बहुत आभार
    सादर

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  2. अच्छे लिंकों पर वेहतरीन टिप्पणियाँ,,,,,बधाई रविकर जी,,,,

    RECENT POST ...: यादों की ओढ़नी

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  3. मूल आलेख की व्यथा यहाँ सघन हुई है .बच्चे बड़े होने पर बुढापे से किनारा कर लेते हैं .चिड़िया चिरौंटा फिर से अपनी ज़िन्दगी जीते हैं आदमी मोह माया में फंसा रहता है .गए तो गए .प्रभु भक्ति ही विकल्प

    .दुनिया की यही रीत .यहाँ किस्से कैसी प्रीत .

    क्यों तुम ऐसे मौन खड़े ?
    Rajesh Kumari
    HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR


    टा टा कर कर के थके, जब जब दायाँ हाथ ।
    बाएं ने कह ही दिया, फिर फिर भोले-नाथ ।
    फिर फिर भोले-नाथ, दर्द पूछो तो दिल का ।
    इतना ही था साथ, करे रोकर दिल हल्का ।
    कर ये नाटक बंद, डाल मुख में दो दाने ।
    बचे हुवे दिन चंद, चले जाएँ बेगाने ।।

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  4. बेहतरीन लिनक्स बहुत बढ़िया

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