Tuesday 26 February 2013

गैरों का मुहताज, हुवे जब अपने हिजड़े -


Asha Saxena 
 Akanksha  

ना ही नीचे धरा पर, ना ऊपर भगवान् |
इनको मिलनी है जगह, ना ही निकले जान |
ना ही निकले जान, जिंदगी भर तडपेंगे |
निश्चय ही हैवान, धरा पर पड़े सड़ेंगे |
पीते रहते खून,  मारकर सज्जन राही |
कौन करेगा माफ़, हुई हर जगह मनाही ||
बैसवारी baiswari
गोला झोला में रखे , रहे याद ले घूम |
जब तब हौले से अधर, लेते गोले चूम |
लेते गोले चूम, तभी पड़ जाये डंडा|
साथी भाड़े खेल, पडूं ना लेकिन ठंडा |
रुसवाई का खौफ, किन्तु मेरा दिल भोला |
करे नहीं संतोष, गुलाबी होता गोला ||

Surendra shukla" Bhramar"5 

भारत माता पालती, सच्चे धर्म सपूत |
दुष्टों की खातिर रखे, फंदे भी मजबूत |
फंदे भी मजबूत, मगर वह चच्चा चाची |
चांय-चांय छुछुवाय, घूमती नाची नाची |
प्रावधान का लाभ, यहाँ आतंकी पाता |
सत्ता यह कमजोर, करे क्या भारत माता ||
Swasti Medha को Rupal Srivastava की फ़ोटो में अंकित किया गया.Kanpur, Uttar Pradesh में
जुडवा बहने दिख गईं, जुड़े जुड़े से गाल |
घूमें दोनों साथ ही, करती फ़िरे बवाल |
करती फ़िरे बवाल, सदा ही गाल बजाती |
रही बिगड़ती चाल, नहीं पर कभी लजाती |
करिए सर्जन अलग, ढूँढ़ता तब तक बुढवा |
हो जाए शुभ व्याह, जाँय घर दोनों जुडवा ||

अरुण यह मधुमय देश बेचारा !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
जड़ें हुईं कमजोर अति, कमल फूल यह लाल । 
भंग मिले जल में सड़े, बंजर होता ताल ।  
बंजर होता ताल, ताल ठोके है हाथी । 
कमलनाल दे तोड़, भिड़ाते पंजा साथी । 
जब आपस में द्वंद्व, ताल उजड़े ही उजड़े। 
गैरों का मुहताज, हुवे जब अपने हिजड़े ॥ 

मेरी मोहतरमा !


पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

मो को होता मोह है, मोहित अंतर मोम । 
हत री मेरी रमा हत, करे खड़े कुल रोम ।

करे खड़े कुल रोम, भयानक होती छोरी । 

हरे माल असबाब, कराके नंगा झोरी ।

लेकिन फिर भी प्यार, सदा आशीशूँ तो को  । 

अंधड़ से इंसान, बनाती जो है मो को ॥

दिलसुख नगरवासी दुखी हैं : दैनिक जनसंदेश टाइम्‍स 26 फरवरी 2013 स्‍तंभ 'उलटबांसी' में प्रकाशित


अविनाश वाचस्पति   
खा ली मूली काल ने, सुधरा पाचन-तंत्र ।
जगह जगह यमदूत कुल, मारें मारक मन्त्र ।  
मारें मारक मन्त्र, महामारी मंहगाई ।
नित-प्रति एक्सीडेंट, मार मौसम की खाई । 

इत नक्सल के वार, उधर आतंक वसूली ।
जगह जगह विस्फोट, मारता खाली-मूली ॥

नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा-

सौदायिक बिन व्याहता, करने चली सिंगार |
गहने पहने मांग कर, लेती कई उधार |

(भाजपा की ओर इशारा)


 लेती कई उधार, खफा पटना पटनायक | 
 खानम खाए खार, करे खारिज खलनायक |
(जदयू, बीजद , मुस्लिम) 
हौदा हाथी रहित, साइकिल बिना घरौंदा |
 नहीं हिन्दु में ताब, पटे ना मोदी सौदा ||

(माया-मुलायम)
सौदायिक= स्त्री-धन नइखे= नहीं 



पिस्सू-मच्छर-खटमल Vs जूँ-चीलर
पिस्सू मच्छर तेज हैं, देते खटमल भेज । 
जगह जगह कब्जा करें, खटिया कुर्सी मेज ।  
खटिया कुर्सी मेज, कान पर जूँ  ना रेंगे । 
देते कड़े बयान, किन्तु विस्फोट सहेंगे । 
चीलर रक्त सफ़ेद, लाल तो बहे सड़क पर। 
करके धूम-धड़ाक, चूसते पिस्सू मच्छर।। 
 


Police and pedestrians look on at the site of the bomb blast at Dilsukh Nagar in Hyderabad on Saturday. Photo: AFP
 मसले सुलझाने चला, आतंकी घुसपैठ । 
खटमल स्लीपर सेल सम, रेकी रेका ऐंठ । 

रेकी रेका ऐंठ, मुहैया असल असलहा । 
विकट सीरियल ब्लास्ट, लाश पर लगे कहकहा । 

सत्ता है असहाय, बढ़ें नित बर्बर नस्लें । 
मसले होते हिंस्र, जाय ना खटमल मसले । 
The Prime Minister, Manmohan Singh, being briefed by the Andhra Pradesh Chief Minister, N. Kiran Kumar Reddy, at the site of the bomb blast at Dilsukhnagar in Hyderabad on Sunday. (From left) DGP V. Dinesh Reddy, AP Governor E.S.L. Narasimhan, Union Minister of State for Surface Transport, Sarve Satyanarayana, and the state's Home Minister, Sabitha Indra Reddy, are alos seen. Photo: P.V. Sivakumar
 

दर्द ने हि‍चकियां लीं जब !!!

सदा 
 SADA

दीवारी सरगोशियाँ, सिसक उठी दहलीज । 
बदले रूह लिबास तो, रहे लोग क्यूँ खीज । 

रहे लोग क्यूँ खीज, छीजती जाय जिंदगी । 
हिचकी लेता दर्द, हुई जाए बेअदबी । 

रिश्तों को पहचान, नहीं हों रिश्ते भारी । 
मिलें आत्म परमात्म, मनाते चल दीवारी 


5 comments:

  1. ज्वलंत समस्यायों को प्रस्तुत करती है आज के लिंक्स,सादर आभार.

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  2. बहुत सुन्दर टिप्पणिया है सभी!

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  3. आदरणीय गुरुदेव श्री आप धन्य हैं बहुत ही सुन्दर प्रतिउत्तर है आभार

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