Monday 22 July 2013

पर वे सत्य प्रकाश, पुत्र चारो न्यौछावर |



साधारण अनुभव सही, प्रस्तुति किन्तु महान |
लन्दन में भी जी रहा, अपना हिन्दुस्तान |

अपना हिन्दुस्तान, आज आसान हुआ है |
हर  देशी सामान, प्यार से हृदय छुआ है |

बना सतत संपर्क, नहीं पड़ती अब बाधा |
मिटे मुल्क का  फर्क, अगर इंटरनेट साधा ||

मेरी कहानियाँ  

 दादी सच ही कह रही, लम्बी दुनिया देख |
मम्मी भी सच ही कहे, दीदी का सच लेख |

दीदी का सच लेख, बात है महिलाओं की |
सम्मुख पीढ़ी तीन, करें क्या टोका टोकी |

बाहर जोखिम देख, छीने बहना आजादी  |
युग की टेढ़ी चाल, देख कर बोली दादी ||



मानव वेश में अक्सर फिरें, शैतान दुनिया में -सतीश सक्सेना


सतीश सक्सेना
रचना की कोशिश जारी है |
रविकर करता तैयारी है |

लिखता रहता था कुण्डलियाँ--
गजलों की अब की बारी है |

ब्लॉग जगत पर कई विधाएं-
देखो तो मारामारी है |

अगर खिंचाई कर दे कोई-
मुँह पर ही देता गारी है |

लगातार लिखता पढता हूँ-
रविकर यह क्या बीमारी है-



man ka manthan. मन का मंथन।

अनुपम बलिदान...


बलिदानी दानी दिखे, लिखे नाम इतिहास |
करे हास-परिहास जग, पर वे सत्य प्रकाश |

पर वे सत्य प्रकाश, पुत्र चारो न्यौछावर |
जय जय पन्ना धाय, कौन माँ तुझसे बेहतर |

हरिश्चन्द्र का सत्य, हजारों सत्य कहानी |
परम्परा आदर्श, नमन सादर बलिदानी-



बन जाओ न नीला समंदर.....


रश्मि शर्मा  


हो अभाव जब भाव का, अन्तर बढ़ता जाय |
हृदयस्थल में मरुस्थल, अन्तर मन अकुलाय-

लघु व्यंग्य- अरहर महादेव !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

अंधड़ ! -

पूजन है मदनारि का, मद में दिखती नारि |


तू भी पूजन कर सखे, आलस शीघ्र बिसारि-



पंचायत का निर्णय.
प्रतिभा सक्सेना  
लालित्यम् 

सज्जन को हरदम खला, भागे लाज लपेट  |
पंचों का जब फैसला, पक्षपात की भेंट |

पक्षपात की भेंट, जान का सौदा होता |
काटे कौवा खेत, फसल चाहे जो बोता |

नगरी में अंधेर, मूर्ख जन बसते दुर्जन |
नहीं किसी की खैर, भाग जाते हैं सज्जन ||
 


7 comments:

  1. आद्रणीय रविकर जी नमस्ते... आप अपने नाम के ही अनुकूल ही हमे अपने काव्यमय प्रकाश से प्रकाशित कर रहे हैं...

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  2. आपकी यह रचना कल मंगलवार (23-07-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  3. बहुत सुंदर और सार्थक



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  4. yahan aakar achha lga .. achhi rachnaye mili padhane ko .. jo dil se juda hai :)

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  5. बहुत सुंदर लि‍खा है आपने..बहुत दि‍नों बाद अपनी रचना यहां देख कर खुशी हुई।

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