Tuesday 24 September 2013

सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ-

सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ |
अब क्या आशा राम से, हो रहे स्खलित विज्ञ |

हो रहे स्खलित विज्ञ, बने खरदूषण साले |
घालमेल का खेल, बुराई कुल अपना ले |


नित आगे की होड़, रखेंगे बढ़ा ताजिया |
सिया सती की लाज, बचा ले पकड़ हाँसिया ||


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