Monday 15 January 2018

सारे भोंपू बेंच दे, यदि यह हिंदुस्तान-

मुल्क सुपर पावर बने, जनगणमन धनवान।
सारे भोंपू बेंच दे, यदि यह हिंदुस्तान।|

करे आत्महत्या कृषक, दे किस्मत को दोष।
असली दोषी मस्त क्यों, क्यों विपक्ष में रोष।।

रस्सी रिश्ते एक से, अधिक ऐंठ उलझाय।
हो जाये यदि ऐंठ कम, लड़ी-लड़ी खुल जाय ।।

रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात।
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात।।

करतल ध्वनि हित जब भिड़े, दो दो हाथ अनेक।
अश्रु पोंछ दे तब वहाँ, केवल उंगली एक।

Monday 8 January 2018

फ़ायलुन × 4


मैंने* तुझसे कहा, तूने* मुझसे कहा।
तू तो* समझी नहीं, मैं भी* उलझा रहा।।

देती* चेतावनी, ठोकरें भी लगीं
तू तो* पत्थर उठा किन्तु देती बहा।

तंग करती रही, हिचकियां भी मे*री 
पानी* पी पी मगर तू तो* लेती नहा।

दाँत के बीच मे जीभ मेरी फँसी
पर लगाती रही तू सदा कहकहा।।

देख रविकर रहा, गम के आंसू पिये
दर्द बढ़ता गया अब न जाए सहा।